रांची: झारखंड की राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बना चुकीं कल्पना सोरेन अब राष्ट्रीय राजनीति में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का नेतृत्व करती नजर आ सकती हैं। झामुमो ने राष्ट्रीय स्तर पर अपने संगठन को विस्तार देने का फैसला लिया है, और इसकी शुरुआत बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से होगी। इस मास्टर प्लान के तहत कल्पना सोरेन को पार्टी का राष्ट्रीय चेहरा बनाकर संगठन विस्तार की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
बिहार से राष्ट्रीय राजनीति का आगाज
झामुमो ने बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर ली है। पार्टी की योजना सीटों के चयन और चुनावी रणनीति को लेकर इंडी गठबंधन के साथ चर्चा करने की है। अगर गठबंधन में सहमति नहीं बनती, तो पार्टी अकेले चुनाव लड़ने का फैसला भी कर सकती है। झामुमो की नजर सिर्फ बिहार पर ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों जैसे ओडिशा और असम पर भी है।
कल्पना का करिश्मा राष्ट्रीय मंच पर दिखेगा
झारखंड में कल्पना सोरेन का कद तेजी से बढ़ा है। उनकी रैलियों में उमड़ती भीड़ और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता ने झामुमो को एक नई पहचान दी है। पार्टी का मानना है कि कल्पना का नेतृत्व झारखंड से बाहर भी प्रभावी साबित हो सकता है। उनकी सशक्त छवि और भाषण देने की कला झामुमो के राष्ट्रीय विस्तार में अहम भूमिका निभा सकती है।
हेमंत-पप्पू की मुलाकात से बढ़ी अटकलें
हाल ही में हेमंत सोरेन और पप्पू यादव की झारखंड मंत्रालय में हुई मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ा दी है। पप्पू यादव ने इस मुलाकात के बाद संकेत दिया कि झामुमो न केवल बिहार बल्कि ओडिशा और असम जैसे राज्यों में भी चुनावी मैदान में उतरेगा। बिहार में झामुमो इंडी गठबंधन का हिस्सा रहेगा, लेकिन गठबंधन न बनने की स्थिति में पार्टी अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।
झामुमो का राष्ट्रीय सपना
झारखंड में लगातार मिल रही सफलता से प्रेरित होकर झामुमो अब राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जड़ें मजबूत करना चाहता है। पार्टी ने स्पष्ट किया है कि यह सिर्फ चुनाव लड़ने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि लंबे समय तक राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाए रखने की रणनी
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