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पांकी में गूंजा बदलाव का संदेश: 'रेड डॉट चैलेंज' के साथ माहवारी स्वच्छता पर खुलकर संवाद

पांकी, पलामू | 28 मई 2025
झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना "चुप्पी तोड़ो, स्वस्थ रहो अभियान" के छठे चरण का आयोजन पांकी प्रखंड में बड़े उत्साह और जनभागीदारी के साथ हुआ। कार्यक्रम का मुख्य विषय था – "माहवारी स्वच्छता प्रबंधन और सामाजिक जागरूकता"

प्रखंड कार्यालय परिसर में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सामूहिक शपथ से हुई। उपस्थित सभी सहिया बहनों, सेविकाओं, शिक्षिकाओं, किशोरियों और जनप्रतिनिधियों ने हाथ में लाल बिंदु (Red Dot) लगाकर रेड डॉट चैलेंज को स्वीकार किया और माहवारी जैसे संवेदनशील विषय पर खुलकर संवाद की शुरुआत की।

शपथ ली, बदलाव का बीड़ा उठाया"

सभी प्रतिभागियों ने यह शपथ ली कि वे माहवारी से जुड़ी गलत धारणाओं को खत्म करेंगे, स्वच्छता और सम्मान के साथ इस विषय पर संवाद को आगे बढ़ाएंगे और गाँव-समाज में जागरूकता की लौ जलाएंगे।

सशक्त मंच, प्रेरणादायक वक्तव्य

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रखंड प्रमुख श्री पंचम प्रसाद, बीडीओ श्री ललित कुमार सिंह, जिप सदस्य श्रीमती खुशबू कुमारी और उप प्रमुख श्री अमित चौहान ने अभियान की आवश्यकता और इसकी सामाजिक प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला।

  • बीडीओ श्री ललित कुमार सिंह ने कहा, "माहवारी पर चुप्पी नहीं, समझ और सम्मान जरूरी है। यह अभियान घर-घर तक यह संदेश पहुंचाने का माध्यम बनेगा।"

  • प्रखंड प्रमुख श्री पंचम प्रसाद ने जोड़ा, "गाँव में महिलाओं को अब माहवारी से नहीं, अज्ञानता से डरना होगा। यह अभियान ज्ञान और गरिमा देने का माध्यम है।"

  • उप प्रमुख श्री अमित चौहान ने कहा, "माहवारी सिर्फ महिलाओं का विषय नहीं, पूरे परिवार और समाज की समझ का विषय है। पुरुषों की भागीदारी इस चुप्पी को तोड़ने में सबसे अहम होगी।"

  • जिप सदस्य श्रीमती खुशबू कुमारी ने भावुक होकर कहा, "जब तक हम खुद चुप्पी नहीं तोड़ेंगे, तब तक बदलाव संभव नहीं। हमें अपनी बेटियों के लिए यह माहौल बनाना होगा जहाँ वे निडर होकर इस पर बात कर सकें।"

रेड डॉट चैलेंज: एक प्रतीक, एक आंदोलन

रेड डॉट चैलेंज के तहत सभी उपस्थित लोगों ने अपने हाथों में लाल बिंदु बनाकर संदेश दिया कि माहवारी पर खुलकर बात करने का समय आ गया है। यह बिंदु अब शर्म का नहीं, बदलाव और जागरूकता का प्रतीक बन गया है ।

सहिया, सेविकाएं और जनप्रतिनिधि बने प्रेरणा स्रोत

कार्यक्रम में जल सहिया, आंगनबाड़ी सेविकाएं, शिक्षिकाएं, किशोरियाँ, और ग्राम स्तर के प्रतिनिधियों की सक्रिय उपस्थिति ने इसे जन-आंदोलन का रूप दिया। इनकी भागीदारी यह दर्शाती है कि जमीनी स्तर से बदलाव संभव है।

कार्यक्रम को बना सकते हैं और भी प्रभावी

  • नियमित विद्यालयों में जागरूकता सत्र

  • किशोरियों के लिए मासिक हेल्थ टॉक

  • पुरुषों के लिए संवाद कार्यक्रम

  • गांव में बायोडिग्रेडेबल नैपकिन और डिस्पोजल यूनिट्स का प्रचार

रिपोर्ट: पंकज प्रसून

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