रायपुर, 20 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने अडानी समूह के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। बघेल ने रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में कोयला खनन परियोजना के तहत कथित अवैध पेड़ कटाई को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार और अडानी समूह पर सीधे तौर पर निशाना साधा है।
बघेल का कहना है कि अडानी समूह द्वारा हसदेव अरण्य के घने जंगलों में हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं, जिससे पर्यावरणीय संतुलन और स्थानीय आदिवासी समुदाय की आजीविका पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने दावा किया कि इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने पर उनके बेटे चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक सुनियोजित साजिश के तहत गिरफ्तार कर लिया है।
"यह गिरफ्तारी कांग्रेस की आवाज दबाने और अडानी समूह को बचाने की एक रणनीति है," बघेल ने आरोप लगाया।
विधानसभा में हंगामा और कांग्रेस का ऐलान
छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन कांग्रेस विधायकों ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव लाने की कोशिश की, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके विरोध में कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया। अब पार्टी ने 22 जुलाई को पूरे राज्य में “आर्थिक नाकेबंदी” और विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा,
“यह सिर्फ पेड़ों की नहीं, छत्तीसगढ़ की अस्मिता और आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई है।”
प्रियंका गांधी का समर्थन और भाजपा पर तीखा वार
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस मामले में बघेल का खुला समर्थन करते हुए केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए PESA कानून और NGT के दिशानिर्देशों का खुला उल्लंघन हो रहा है।
“भूपेश बघेल विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने वाले थे, इसलिए ईडी ने उनके बेटे को गिरफ्तार किया। यह विपक्ष को दबाने की रणनीति है,” प्रियंका गांधी ने लिखा।
हसदेव अरण्य में आदिवासी आंदोलन
"छत्तीसगढ़ का फेफड़ा" कहे जाने वाले हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन के विरोध में आदिवासी समुदाय और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का आंदोलन लगातार तेज हो रहा है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने आरोप लगाया कि 26-27 जून को तमनार के मुड़ागांव और सरायटोला गांवों में लगभग 5,000 पेड़ काटे गए, और स्थानीय लोगों को जबरन हिरासत में लिया गया।
आंदोलनकारियों का कहना है कि ग्राम सभाओं की सहमति फर्जी दस्तावेजों पर ली गई और लोगों की राय के खिलाफ जंगलों को काटा जा रहा है।
अडानी समूह की सफाई
अडानी समूह ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उनकी परियोजनाएं क्षेत्र में विकास, रोजगार और सामाजिक सुविधाएं लेकर आई हैं। उनका कहना है कि सभी कार्य कानूनी प्रक्रियाओं और अनुमतियों के तहत किए जा रहे हैं।
निष्कर्ष और आगे की रणनीति
भूपेश बघेल ने स्पष्ट किया है कि वे इस लड़ाई को कानूनी और जनआंदोलन दोनों स्तरों पर लड़ेंगे।
“हम न डरेंगे, न झुकेंगे। यह सिर्फ मेरी नहीं, छत्तीसगढ़ की जनता और पर्यावरण की लड़ाई है,” उन्होंने कहा।
यह मामला अब राज्य की राजनीति का केंद्रबिंदु बन गया है और आगामी दिनों में यह राजनीतिक गर्मी और बढ़ा सकता है।
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