झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भोजपुरी और मगही भाषा पर दिए गए विवादित बयान पर पलामू के लोगों में काफी आक्रोश दिख रहा है । इसी मुद्दे पर आज मगही संघर्ष मोर्च के बैनर तले पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केएन त्रिपाठी के नेतृत्व में हजारों लोगों ने पदयात्रा की एवं ज्ञापन सौंपा ।
ज्ञापन के माध्यम से झारखंड सरकार की नियुक्ति नियमावली में मगही, भोजपुरी, अंगिका और मैथिली को शामिल करने की मांग की गयी । आज गांधी स्मृति नगर भवन में सभा करने के बाद पूर्व मंत्री और इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष के.एन. त्रिपाठी ने शहर में पदयात्रा की। शहर के प्रमुख मार्गों से पदयात्रा करते हुए समाहरणालय पहुंचे और उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। इससे पूर्व गांधी स्मृति टाउन हॉल में मगही युवक मोर्चा के तत्वावधान में आयोजित सभा में पूर्व मंत्री श्री त्रिपाठी ने कहा कि मोर्चा की मांगो का वे पूर्ण रूप से समर्थन करते हैं। झारखंड सरकार से मांगों को मानने के लिए बात की जाएगी। पहले भी कुछ मामलों में बात की और कुछ बातें आगे भी होंगी। उन्हें लगता है कि उनकी पार्टी और सरकार भी मांगों के साथ खड़ी होगी। मांगों की लौकिक एवं तर्क सही है। पूर्व की सरकार ने झारखंड को 13 और 11 जिलों के अनुसार बांटने का कार्य किया था। आंदोलन के कारण सरकार को कानून बदलना पड़ा था । हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि यह कानून गलत है। उसी तरह इस कानून भी बदलना पड़ेगा। झारखंड राज्य में 24 जिले हैं और सभी जिलों को बराबर का अधिकार है। भाषा के आधार पर 12 और 04 भाषाओं में नहीं बांटा जा सकता है। झारखंड सरकार ने जिन 12 भाषाओं को ली है उनमें से अधिकांश भाषाएं बंगाली, बांग्ला, उड़िया खोरठा, नगपुरिया, आसामी यह मगधी प्राकृति प्राचीन भाषा का ही अपभ्रंश है। इसी भाषा से निकलकर के सारी भाषाओं का निर्माण हुआ है। झारखंड के 24 जिलों के 267 प्रखंड सवा तीन करोड़ लोगों को ध्यान में रखना होगा तो सरकार कैसे ये कह सकती है कि यह हमारी भाषा नहीं है। झारखंड के लोग जो चयनित 12 भाषाओं को नहीं जानते है वे क्या करेंगे ?" उन सभी के लिए यह 4 भाषाओं को रखना ही पड़ेगा।
मौके पर अध्यक्ष सोनू कु पासवान उपाध्यक्ष प्रमोद सिंह उपाध्याय नीतीश कुमार सिंह महासचिव नेजामुदिन खान उप सचिव अभिषेक मिश्रा एवं अन्य छात्र लोगों उपस्थित थे।
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