ad

ad

बाँसगुरु मेला स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा: डॉ. शशिभूषण मेहता

सोनपुरा, तरहसी प्रखंड मकर संक्रांति के अवसर पर सोनपुरा गांव में लगने वाले ऐतिहासिक बाँसगुरु मेला का आयोजन इस बार भी बेहद धूमधाम से हुआ। हजारों श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों ने इस पवित्र स्थल पर आकर न केवल मेले का आनंद उठाया, बल्कि यहाँ की धार्मिक परंपराओं का भी अनुसरण किया।

बाँसगुरु स्थल की अद्भुत महिमा

पांकी विधायक डॉ. शशिभूषण मेहता ने मेले का उद्घाटन करते हुए बाँसगुरु स्थल की महिमा को अपरंपार बताया। उन्होंने कहा कि इस स्थल पर स्थित बाँसगुरु झरना श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि इस झरने में स्नान करने से त्वचा संबंधी बीमारियों से मुक्ति मिलती है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय बाँसगुरु की महिमा को देते हुए कहा, "मैं दूसरी बार विधायक बनकर यहाँ आया हूँ, यह बाँसगुरु की कृपा का ही परिणाम है।"

स्थल के विकास के लिए योजनाएँ

डॉ. मेहता ने अपने पिछले कार्यकाल में बाँसगुरु स्थल पर विवाह मंडप के निर्माण का उल्लेख करते हुए कहा कि इस बार वह यहाँ पहुंचने वाले सभी मार्गों को बेहतर बनाने का काम करेंगे। उन्होंने मेला परिसर की भूमि का सीमांकन कराने का सुझाव दिया ताकि इस स्थल को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किया जा सके।

श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र

बाँसगुरु मेला स्थल पर श्रद्धालु स्नान करने के बाद हनुमान और शिव मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। यहाँ स्थित विवाह मंडप में शादी समारोह का आयोजन भी होता है। मेला समिति के अध्यक्ष बीरेंद्र सिंह ने बताया कि यह मेला वर्षों से लग रहा है और अब यह तीर्थ स्थल का रूप ले चुका है।

समिति का योगदान और समाज की भूमिका

मेला आयोजन में समिति के अध्यक्ष बीरेंद्र सिंह, शशिभूषण प्रसाद, संजय प्रसाद, पवन कुमार सिंह, गिरेन्द्र कुमार प्रभाकर, प्रेमचंद कुमार, सतीश कुमार समेत सैकड़ों सदस्यों ने सक्रिय भूमिका निभाई।

समाज के नेतृत्वकर्ताओं की उपस्थिति

मेले में दांगी समाज के प्रदेश अध्यक्ष अनुज कुमार सिंह, भाजपा नेत्री मंजुलता, और लवली गुप्ता ने मंच से श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं। इन नेताओं ने बाँसगुरु स्थल के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

भविष्य की योजना

मेला समिति ने इस धार्मिक स्थल को और अधिक आकर्षक बनाने और यहाँ के ऐतिहासिक महत्व को संरक्षित करने के लिए विकास योजनाएँ बनाने की बात कही। समिति की योजना में मेला परिसर का सीमांकन, सुविधाओं का विस्तार, और क्षेत्रीय सड़कों का विकास शामिल है।

श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इस बात को साबित कर दिया कि बाँसगुरु स्थल न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

बाँसगुरु मेला अब सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि एक क्षेत्रीय पहचान का प्रतीक बन चुका है, जिसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में यह कदम सराहनीय है।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Featured News

संघचालक ध्रुव नारायण सिंह का अंतिम संस्कार, बड़े पुत्र ने दी मुखाग्नि