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महाकुंभ 2025: पहले अमृत स्नान की भव्य शुरुआत

प्रयागराज, 14 जनवरी 2025 – मकर संक्रांति के पावन अवसर पर महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान भव्यता और आस्था के साथ त्रिवेणी संगम में प्रारंभ हुआ। यह स्नान सनातन परंपरा, सामाजिक समता, और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है।

महत्व और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

महाकुंभ में अमृत स्नान का महत्व अत्यधिक है। ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र स्नान से व्यक्ति न केवल इस जन्म के, बल्कि पिछले कई जन्मों के पापों से मुक्ति प्राप्त करता है। पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। 144 वर्षों के बाद यह महाकुंभ विशिष्ट महत्व रखता है, जिसमें देवी-देवताओं की उपस्थिति का भी विश्वास किया जाता है।

पहले स्नान की विशेषताएं

पहले शाही स्नान में सबसे पहले नागा साधुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई। महानिर्वाणी, निरंजनी, और अन्य प्रमुख अखाड़ों के संतों और साधुओं ने बारी-बारी से स्नान किया। सुबह से शुरू हुआ यह स्नान क्रमशः 9.30 घंटे तक चलेगा, और अखाड़ों को अपने शिविरों में लौटने में कुल 12 घंटे का समय लगेगा।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़

13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन 1.65 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में स्नान किया था। वहीं, आज मकर संक्रांति पर 4 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की संभावना है। प्रयागराज में देश-विदेश से करोड़ों की संख्या में भक्त पहुंचे हैं। महाकुंभ के समापन तक 35 से 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।

सीएम योगी आदित्यनाथ का संदेश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस महापर्व को सनातन एकता और सामाजिक समता का प्रतीक बताया। उन्होंने सभी संतों, कल्पवासियों, और श्रद्धालुओं का अभिनंदन करते हुए इसे "सनातन एकता का शाश्वत महायज्ञ" कहा।

अमृत स्नान की आगामी तिथियां

  • दूसरा शाही स्नान: मौनी अमावस्या, 29 जनवरी 2025
  • तीसरा शाही स्नान: वसंत पंचमी, 3 फरवरी 2025

विशेष दृश्य

नागा साधुओं का उत्साह और जोश अद्वितीय रहा। वे अस्त्र-शस्त्रों और भोलेनाथ के जयकारों के साथ घाट की ओर बढ़े। ढोल-नगाड़ों की गूंज और जयघोष ने माहौल को अलौकिक बना दिया। भारी ठंड के बावजूद नागा साधुओं ने पूरी ऊर्जा के साथ पवित्र डुबकी लगाई।

अमृत स्नान का आध्यात्मिक प्रभाव

महाकुंभ में स्नान करने से आत्मा का शुद्धिकरण और आध्यात्मिक उत्थान होता है। यह कुंभ पर्व न केवल भक्तों के लिए बल्कि समाज के लिए भी धर्म और संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।

निष्कर्ष

महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान आस्था, परंपरा, और सामाजिक समर्पण का अभूतपूर्व संगम है। यह महापर्व मानवता के उत्थान और आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

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