कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 31 वर्षीय महिला ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में सियालदह सत्र अदालत ने मुख्य आरोपी सिविक वालंटियर संजय रॉय को दोषी ठहराया है। अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 64 (बलात्कार), 66 (मृत्यु का कारण बनने) और 103 (हत्या) के तहत उसे दोषी पाया। जज अनिर्बान दास ने मुकदमा शुरू होने के 57 दिन बाद यह फैसला सुनाया। सजा का ऐलान 20 जनवरी को किया जाएगा।
केस की पृष्ठभूमि
यह घटना 9 अगस्त 2024 को सामने आई, जब आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल में महिला डॉक्टर का शव अर्धनग्न अवस्था में मिला। कोलकाता पुलिस ने जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज और क्राइम सीन से मिले साक्ष्यों के आधार पर संजय रॉय को गिरफ्तार किया। इस वीभत्स घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था।
जांच और ट्रायल की प्रमुख घटनाएं
- 10 अगस्त 2024: पुलिस ने आरोपी संजय रॉय को गिरफ्तार किया।
- 12 अगस्त: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मामले को सुलझाने के लिए सात दिन का समय दिया।
- 13 अगस्त: कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंपा।
- 14 अगस्त: सीबीआई ने जांच शुरू की और फोरेंसिक टीम का गठन किया।
- 20 अगस्त: सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए नेशनल प्रोटोकॉल तैयार करने का निर्देश दिया।
- 7 अक्टूबर: सीबीआई ने आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
- 12 नवंबर: बलात्कार और हत्या मामले में बंद कमरे में सुनवाई शुरू हुई।
अदालत की टिप्पणी
जज अनिर्बान दास ने अपने फैसले में कहा, “तुम्हारे खिलाफ सबूत स्पष्ट हैं। तुम्हें सजा मिलनी ही चाहिए।” दोषी ने अदालत में दावा किया कि उसे फंसाया गया है, लेकिन जज ने यह कहते हुए उसकी दलील खारिज कर दी कि सभी सबूतों और गवाहों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
जनाक्रोश और विरोध प्रदर्शन
इस जघन्य घटना के बाद कोलकाता सहित पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए। डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों ने बड़े पैमाने पर रैलियां निकालीं। अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने और डॉक्टरों के लिए कड़े प्रोटोकॉल बनाने की मांग की गई।
आगे की कार्रवाई
सीबीआई ने इस मामले में आरोपी के लिए सजा-ए-मौत की मांग की है। अदालत 20 जनवरी को सजा का ऐलान करेगी।
टाइमलाइन:
- 9 अगस्त: पीड़िता का शव अस्पताल में मिला।
- 10 अगस्त: आरोपी गिरफ्तार।
- 13 अगस्त: मामला सीबीआई को सौंपा गया।
- 7 अक्टूबर: आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल।
- 18 जनवरी: संजय रॉय दोषी करार।
यह केस न्याय प्रणाली और समाज के लिए एक चेतावनी है कि महिला सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। अब सबकी नजरें 20 जनवरी को सजा के ऐलान पर टिकी हैं।
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