रायपुर, 10 मार्च 2025: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के 14 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को छापेमारी की। यह कार्रवाई कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में की गई। ईडी का दावा है कि इस घोटाले में एक आपराधिक सिंडिकेट ने राज्य के शराब व्यापार में अनियमितताएं कीं, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ। इस मामले में 2,100 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका जताई जा रही है।
ईडी की इस कार्रवाई के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस ने इसे "राजनीतिक बदले की कार्रवाई" बताया है, जबकि भाजपा का कहना है कि यह जांच कानूनी प्रक्रिया के तहत हो रही है।
क्या है कथित शराब घोटाला?
ईडी की जांच के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 2019 से 2023 के बीच भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में एक संगठित सिंडिकेट द्वारा शराब बिक्री में भ्रष्टाचार किया गया। इस सिंडिकेट पर आरोप है कि उसने अवैध रूप से शराब की बिक्री से मुनाफा कमाया, सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाया, और भ्रष्टाचार के जरिए काले धन को सफेद किया।
ईडी का दावा है कि इस सिंडिकेट से जुड़े कई नौकरशाह, शराब व्यवसायी और राजनेता गैरकानूनी वित्तीय लेन-देन में शामिल थे। जांच एजेंसी को संदेह है कि चैतन्य बघेल को इस घोटाले से लाभ मिला और वह इस भ्रष्टाचार में शामिल हो सकते हैं।
इस मामले में प्रमुख आरोप:
- राज्य सरकार के अधीन शराब व्यापार में अनियमितताएं
- बिचौलियों के माध्यम से अवैध रूप से धन का लेन-देन
- सरकारी राजस्व को 2,100 करोड़ रुपये का नुकसान
- भ्रष्टाचार के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग
ईडी ने पहले भी इस मामले में कई नौकरशाहों और व्यापारियों को गिरफ्तार किया था, जिससे जांच और गहरी होती जा रही है।
ईडी की छापेमारी और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
ईडी ने सोमवार को चैतन्य बघेल से जुड़े 14 ठिकानों पर छापेमारी की। इनमें रायपुर, दुर्ग और भिलाई के कई प्रतिष्ठान और आवासीय परिसरों को शामिल किया गया।
इस छापेमारी के बाद भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा,
"सात वर्षों से चले आ रहे झूठे केस को जब अदालत में बर्खास्त कर दिया गया, तो आज फिर से ईडी मेरे घर भेजी गई। यह कार्रवाई केवल राजनीतिक बदले की भावना से हो रही है। अगर कोई सोचता है कि इस साजिश से पंजाब में कांग्रेस को कमजोर किया जा सकता है, तो यह उनकी गलतफहमी है।"
कांग्रेस ने भी इस कार्रवाई को "विपक्ष को दबाने का प्रयास" बताया। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि जब भी किसी राज्य में चुनाव नजदीक आते हैं, विपक्षी नेताओं पर ईडी और अन्य जांच एजेंसियों का दबाव बढ़ा दिया जाता है।
भूपेश बघेल पर पहले भी हुई हैं जांच एजेंसियों की कार्रवाइयाँ
यह पहली बार नहीं है जब भूपेश बघेल या उनके सहयोगियों पर ईडी ने शिकंजा कसा हो।
- 2023 में विधानसभा चुनाव से पहले:
- बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा और उनके विशेष ड्यूटी अधिकारियों (OSD) के घरों पर छापेमारी की गई थी।
- महादेव सट्टा ऐप मामला:
- ईडी ने आरोप लगाया था कि महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप के प्रमोटरों ने बघेल को 508 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी, जिसे बघेल ने खारिज किया था।
- कोयला घोटाला:
- बघेल सरकार के दौरान कथित कोयला घोटाले में भी जांच हुई थी।
बार-बार की इन छापेमारियों के कारण विपक्ष आरोप लगा रहा है कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है और अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बना रही है।
क्या यह जांच निष्पक्ष है या राजनीतिक बदले की कार्रवाई?
ईडी का कहना है कि उसने ठोस सबूतों के आधार पर कार्रवाई की है और छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले में बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। हालांकि, विपक्ष इसे "राजनीतिक हथियार" के रूप में देख रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ईडी के पास पर्याप्त प्रमाण हैं, तो उसे इन्हें सार्वजनिक करना चाहिए। इसके अलावा, अगर घोटाले की जांच की जा रही है, तो सभी आरोपियों पर समान कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित हों।
क्या होगा आगे?
- ईडी जल्द ही चैतन्य बघेल को पूछताछ के लिए समन भेज सकती है।
- जांच एजेंसी इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर सकती है।
- भूपेश बघेल और कांग्रेस इस कार्रवाई के खिलाफ कानूनी और राजनीतिक स्तर पर विरोध कर सकते हैं।
- भाजपा इस जांच को भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के रूप में पेश कर सकती है।
अभी के लिए, यह मामला राजनीति और कानून दोनों ही क्षेत्रों में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब यह देखना होगा कि ईडी की जांच कितनी पारदर्शी होती है और क्या यह केवल विपक्षी नेताओं तक सीमित रहती है या फिर अन्य दोषियों पर भी कार्रवाई होती है।
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