श्रद्धा, संस्कृति और संकल्प का संगम; गाँव में गूंजे जयघोष
पांकी (डंडार कला, बथान टोला)।
आस्था और आध्यात्म का अद्भुत दृश्य आज बथान टोला में देखने को मिला, जब कलश यात्रा के साथ तीन दिवसीय *वेदमयी विराट यज्ञ* का विधिवत शुभारंभ हुआ। महिला-पुरुष श्रद्धालुओं की भारी सहभागिता ने इसे ऐतिहासिक बना दिया। मंगल कलश धारण किए हज़ारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में गाँव की गलियाँ भक्ति से सराबोर हो उठीं।
यज्ञ स्थल पर अतिथियों का पारंपरिक स्वागत *चुनरी, पुष्पहार और तिलक* से किया गया। यज्ञ समिति ने शास्त्रसम्मत विधि से आगंतुकों का अभिनंदन कर आयोजन की गरिमा को बढ़ाया।
धर्मशक्ति के आह्वान के साथ हुआ उद्घाटन
कार्यक्रम का उद्घाटन *मुख्य अतिथि बबन कुमार सिंह* एवं *प्रखंड प्रमुख पंचम प्रसाद* ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया। अपने संबोधन में मुख्य अतिथि ने इस महायज्ञ को *आध्यात्मिक जागरण, सामाजिक समरसता* और *सांस्कृतिक चेतना* का प्रतीक बताया।
मुखिया ने जनभागीदारी को बताया सफलता की कुंजी
ग्राम के मुखिया *प्रद्युम्न सिंह* ने यज्ञ को *धार्मिक उत्सव का जनपर्व* बताया और इसकी सफलता में जनभागीदारी को आवश्यक बताया। उन्होंने ग्रामवासियों से तन-मन-धन से सहयोग की अपील की।
कलश यात्रा बनी संस्कृति और श्रद्धा की जीवंत मिसाल
*बबन कुमार सिंह*, *पंचम प्रसाद* व *मुकेश सिंह चंदेल* ने अपने कर-कमलों से कलश यात्रा की शुरुआत की। घोड़े, रथ, बाजा और भक्ति गीतों से सजी यह यात्रा *सोनरे-अमानत नदी संगम स्थल* तक पहुँची, जहाँ *आचार्य संदीप जी* एवं *पंडित पद्माभम जी* के वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच कलश पूजन और संकल्प संपन्न हुआ।
मुख्य यजमानों से प्रवाहित हो रही पुण्य ऊर्जा
यज्ञ में *निरंजन सहाय*, *निपुण सिन्हा* और *जनेश मांझी* अपनी धर्मपत्नी सहित *मुख्य यजमान* की भूमिका निभा रहे हैं। यज्ञ में इनकी आहुतियों से *धर्म, समृद्धि और कल्याण की ऊर्जा* गाँव में प्रवाहित हो रही है।
ग्रामवासियों की भागीदारी बनी आयोजन की रीढ़
श्याम ओझा, विद्यासागर पांडे, मुन्ना सिन्हा, मनोज सिन्हा अजित, बिनोद, बैजू, अर्जुन, राहुल, राजेन्द्र, चंदू, मिंटू, प्रकाश, अरविंद यादव और मोकिम मियां समेत कई गणमान्य नागरिक आयोजन में सक्रिय रूप से जुड़े रहे।
सेवाभाव से कार्यरत रही यज्ञ समिति
यज्ञ समिति के सदस्यों ने जल, बैठने व सुरक्षा व्यवस्था* का पूर्ण ध्यान रखा। श्रद्धालुओं के लिए सभी मूलभूत सुविधाएँ सुनिश्चित की गईं।
गाँव में छाया आध्यात्मिक उत्सव का रंग
यह तीन दिवसीय यज्ञ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि ग्राम की आत्मा का पर्व बन चुका है। यहाँ आस्था, भक्ति और संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है। यज्ञ की पूर्णाहुति तक श्रद्धा और आस्था का यह प्रवाह यूँ ही बहता रहेगा।
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