झारखंड में भ्रष्टाचार अब एक व्यवस्था बनती जा रही है। महज 24 घंटे के भीतर दो अलग-अलग जिलों में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने दो राजस्व कर्मचारियों को रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है।
पहला मामला गिरिडीह के गावां प्रखंड का है, जहां शंकर त्रिगुनाइक नामक राजस्व कर्मचारी को 20,000 रुपये घूस लेते हुए ACB धनबाद की टीम ने बेलु राम के घर से गिरफ्तार किया।
दूसरा मामला जमशेदपुर के चांडिल अनुमंडल से सामने आया, जहां राजस्व कर्मचारी शनि बर्मन को ऑनलाइन पंजी-2 में नाम दर्ज करने के एवज में 10,000 रुपये घूस लेते रंगे हाथ ACB ने पकड़ा। यह कार्रवाई एक आदिवासी खतियानधारी राजेश हेम्ब्रम की शिकायत के बाद हुई।
इन दोनों घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि राजस्व कार्यालयों में भ्रष्टाचार न सिर्फ जीवित है बल्कि बेलगाम होता जा रहा है।
लाख निर्देश, अभियान और नारे लगाने के बावजूद जब जनता की ज़मीन, हक और कागजात के एवज में खुलेआम पैसे मांगे जा रहे हों, तो यह सिर्फ किसी एक कर्मचारी की गलती नहीं, पूरे सिस्टम पर सवाल है।
👉 सवाल ये है कि
1. क्या सिर्फ ACB की कार्रवाई से भ्रष्टाचार रुकेगा?
2. क्या प्रशासनिक निगरानी इतनी कमजोर हो गई है कि घूसखोरी आम व्यवहार बन चुकी है?
3. क्या आदिवासी, किसान और आम नागरिकों को हर सरकारी सेवा के बदले रिश्वत देना ही पड़ेगा?
जब तक शासन और प्रशासन कठोर इच्छाशक्ति नहीं दिखाता, ये गिरफ्तारियां महज दिखावा बनकर रह जाएंगी।
📌 अब वक्त है कि सरकार सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ बयान न दे, बल्कि ज़मीन पर ठोस व्यवस्था और पारदर्शिता लाने का साहस दिखाए।
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