डंडार (पलामू)।
मजदूर किसान महाविद्यालय, डंडार में "स्मार्ट तकनीक का वैश्विक शोध प्रणाली पर प्रभाव: मुद्दे एवं चुनौतियाँ" विषय पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य शुभारंभ हुआ।
इस बहुविषयक संगोष्ठी का आयोजन इंटरनेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट (ICSRD), बैंगलुरु के तत्वावधान में किया गया, जिसमें देशभर के शोधार्थियों, प्राध्यापकों, तकनीकी विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने भाग लिया।
उद्घाटन सत्र की मुख्य झलकियाँ:
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कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन के साथ हुई।
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मुख्य अतिथि एम. के. दीपक, डॉ. एम. कुमार (ICSRD), और प्राचार्य डॉ. दिलीप कुमार राम ने मंच साझा किया।
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सभी अतिथियों का सम्मान अंगवस्त्र और मोमेंटो भेंट कर किया गया।
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मंच संचालन प्रोफेसर आलोक कुमार पाठक द्वारा किया गया।
संगोष्ठी का उद्देश्य:
तकनीकी युग में शोध प्रणाली को नई दिशा देना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे उभरते विषयों के प्रभाव को समझना, और शोध में नैतिकता, पारदर्शिता व समावेशिता को बढ़ावा देना।
प्रमुख विषय जिन पर चर्चा हुई:
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग
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शोध में डेटा सुरक्षा और गोपनीयता
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अंतरविषयी (इंटरडिसिप्लिनरी) शोध में तकनीक की भूमिका
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डिजिटल डिवाइड और तकनीकी सुलभता की समस्याएँ
आज के प्रमुख वक्ता रहे:
डॉ. प्रदीप कुमार, प्रो. कमलेश कुमार सिंह, हिमांशु भूषण जरुहर, एन. के. तिवारी, जे. पी. प्रजापति, डॉ. सुल्ताना प्रवीण, प्रो. पंकज कुमार, प्रो. सर्वेश्वर प्रसाद, अरुण कुमार तिवारी।
उल्लेखनीय उपस्थिति:
डॉ. बिंदेश्वरी सिंह, प्रो. बंसीधर सिंह, प्रो. राजीव रंजन, जिला परिषद सदस्य खुशबू कुमारी, मुखिया प्रदुम्न सिंह, सन्तु सिंह समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
आयोजन की सफलता में योगदान देनेवाले:
ICSRD के डॉ. एन. कुमार, अनमोल तबस्सुम, सरिता सिंह, डॉली दत्ता और मिस प्रिया ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कल के सत्रों में चर्चा होगी:
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शोध प्रकाशन में गुणवत्ता और पारदर्शिता
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डेटा प्रामाणिकता एवं शोध नैतिकता
ICSRD की ओर से वक्तव्य:
डॉ. एन. के. सिंह और डॉली दत्ता ने बताया कि यह संगोष्ठी तकनीकी युग में शोध को नई सोच और दिशा देने का एक प्रयास है, जो आने वाले समय में शोध की गुणवत्ता को बेहतर बनाएगा।
समापन टिप्पणी:
यह संगोष्ठी केवल एक शैक्षणिक आयोजन न होकर एक वैचारिक मंच है, जहाँ स्मार्ट टेक्नोलॉजी और शोध प्रणाली के समन्वय पर सार्थक चर्चा हुई। ऐसे प्रयास भविष्य की ज्ञान परंपरा को नई ऊर्जा देने में सक्षम हैं।
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