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स्वतंत्रता सेनानी पं. जगनारायण पाठक की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि, हृदयानंद मिश्र ने किया स्मरण

पलामू, 11 जुलाई 2025
महान स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व विधायक, विधान पार्षद और पलामू जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष पंडित जगनारायण पाठक की 30वीं पुण्यतिथि पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और वैचारिक विश्लेषक हृदयानंद मिश्र ने उन्हें अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने पाठक जी को अपना राजनीतिक गुरु और प्रेरणास्रोत बताया।

“धुन के मतवाले थे पंडित पाठक”

हृदयानंद मिश्र ने राष्ट्रकवि दिनकर की पंक्तियों
“नींद कहाँ उनकी पलकों में जो धुन के मतवाले हैं,
गति की तृषा और बढ़ती, पड़ते पग में छाले हैं”

को उद्धृत करते हुए कहा कि यह कविता पंडित जगनारायण पाठक के जीवन पर पूर्णतः चरितार्थ होती है।

उनका मृदुभाषी, नीराभिमानी और मानवतावादी व्यक्तित्व सभी को सहज अपनाने वाला था। गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित होकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लिया और जीवनपर्यंत सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक नवनिर्माण में लगे रहे।

स्वतंत्रता सेनानी से जननेता तक का सफर

  • युवावस्था में हाई स्कूल की पढ़ाई छोड़ आजादी की लड़ाई में कूदे।

  • स्वतंत्रता के बाद 1952 से 1962 तक पलामू जिला परिषद के अध्यक्ष रहे।

  • 1967 और 1969 में दो बार लेस्लीगंज-पाटन से विधायक चुने गए।

  • 1976 से 1982 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे।

  • बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री रहे और इंदिरा गांधी के विश्वासपात्र नेताओं में शामिल रहे।

मुख्यमंत्री पद तक का रास्ता रोका गया भीतरघात से

मिश्र के अनुसार, यदि 1972 के हुसैनाबाद विधानसभा चुनाव में उन्हें भीतरघात का सामना न करना पड़ता, तो वे बिहार के मुख्यमंत्री बन सकते थे। इंदिरा गांधी उन्हें इस पद पर देखना चाहती थीं और उनकी हार से दुखी भी हुई थीं। इस चुनाव में उनके पक्ष में केवल रामेश्वर सिंह डटे रहे।

शिक्षा और समाज सेवा में अमिट योगदान

  • पाटन हाई स्कूल, बीबीसी मिशन गर्ल्स स्कूल, ब्रह्म विद्यालय, गिरवर विद्यालय और एक प्रमुख कॉलेज की स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाई।

  • पलामू में उच्च शिक्षा के संस्थान की नींव रखी, जो आज विश्वविद्यालय का रूप ले चुका है।

  • कई नौजवानों को डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक और क्लर्क बनाकर उन्हें रोजगार दिलाया।

प्रेरणा से समर्पण तक: एक बालक से नेता बनने की यात्रा

हृदयानंद मिश्र ने बताया कि 1966-67 में जब वे बालक थे, तभी पाठक जी के व्यक्तित्व से प्रभावित हुए। वे उनके मकान में रहने वाले बालेश्वर बाबू के पुत्र अरविंद सिन्हा के साथ अक्सर पाठक जी के पास जाते और उनके आशीर्वाद लेते। एक दिन उन्होंने देखा कि दूर गांव से समस्याओं को लेकर आए ग्रामीणों की मदद के लिए पाठक जी तपती धूप में पैदल चलकर उपायुक्त कार्यालय पहुंचे। यही दृश्य उनके जीवन की दिशा बन गया।

इसके बाद उन्होंने पाठक जी के सान्निध्य में राजनीति और समाजसेवा का कार्य शुरू किया। स्नातकोत्तर व एलएलबी की पढ़ाई के बाद 1982 में पंडित जी ने उन्हें पलामू जिला कांग्रेस कमेटी का महासचिव बनाया और राजीव गांधी विचार मंच की स्थापना की सलाह दी। उन्होंने उन्हें पलामू के सुदूर गांवों का दौरा करवाया और संगठन में प्रशिक्षण की जिम्मेदारी भी सौंपी।

इंदिरा, राजीव और नरसिम्हा राव से भी कराया परिचय

हृदयानंद मिश्र ने बताया कि पाठक जी ने उन्हें न केवल राज्य के मुख्यमंत्रियों से मिलवाया, बल्कि श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पी.वी. नरसिम्हा राव से भी उनका परिचय कराया। उनकी कर्तव्यनिष्ठा की इन नेताओं ने भूरि-भूरि प्रशंसा की।

अकाल राहत कार्य में निभाई थी ऐतिहासिक भूमिका

1966-67 में पलामू में पड़े भीषण अकाल के समय पाठक जी ने इंदिरा गांधी को खुद गांवों में बुलाकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया। नतीजतन युद्धस्तर पर राहत कार्य चला और हजारों बच्चों को दूध, वयस्कों को खाद्य सामग्री मिल सकी।

सैकड़ों नेताओं को दी राजनीतिक पहचान

उन्होंने अपनी लोकप्रियता के बल पर कई सांसद और विधायक बनवाए, जिनमें कमला कुमारी, यदुवंश तिवारी, भीष्म नारायण सिंह, रामदेनी राम, संकेश्वर सिंह, हरिहर सिंह, राजेश्वरी सरोज दास, लक्ष्मी प्रसाद, मालदेव राम और हरिदर्शन राम जैसे नाम प्रमुख हैं।

एक जीवंत प्रकाश स्तंभ

मिश्र ने अपने लेख के अंत में लिखा:
"अलेक्जेंड्रिया में एक ऐसा प्रकाश स्तंभ था जो सदा जलता रहता था।
ना उसमें तेल डलता, ना बाती बदली जाती,
लेकिन वह निरंतर लोगों को राह दिखाता था।"

पंडित जगनारायण पाठक का जीवन भी ठीक उसी दीपक की तरह था – जो जीवन भर समाज, राजनीति, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में उजास फैलाते रहे।

ऐसे विलक्षण, तपस्वी और जनता के सच्चे सेवक को उनकी पुण्यतिथि पर समस्त पलामूवासी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

साभार -हृदयानंद मिश्र, एडवोकेट, वैचारिक विश्लेषक एवं सदस्य – हिन्दू धार्मिक न्यास बोर्ड, झारखंड सरकार

📅 दिनांक – 11 जुलाई 2025

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