🔹 प्रमुख बदलाव:
अब प्रत्येक सरकारी शराब दुकान में 1 से 3 होमगार्ड जवानों की तैनाती की जाएगी। जवानों की संख्या दुकानों पर ग्राहकों की संख्या और सुरक्षा की जरूरत के अनुसार तय की जाएगी।
इसके अतिरिक्त, प्रत्येक दुकान पर एक दुकान प्रभारी और एक सहायक की भी नियुक्ति की जाएगी।
🔹 फैसले का कारण:
पहले सरकारी शराब दुकानों का संचालन निजी प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए होता था। लेकिन हाल के घोटालों और अनियमितताओं को देखते हुए प्रशासन ने यह जिम्मेदारी झारखंड होमगार्ड बल को सौंपने का निर्णय लिया है।
झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) ने 5 जुलाई तक सभी दुकानों के ऑडिट और हैंडओवर-टेकओवर की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया था, लेकिन यह प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में नई व्यवस्था लागू होने तक होमगार्ड जवान ही संचालन की जिम्मेदारी निभाएंगे।
🔹 दीर्घकालिक योजना:
सरकार ने यह भी घोषणा की है कि 16 अगस्त 2025 से शराब की खुदरा बिक्री फिर से निजी क्षेत्र को सौंप दी जाएगी। तब तक होमगार्ड जवान अस्थायी रूप से संचालन की जिम्मेदारी निभाएंगे।
🔹 सार्वजनिक प्रतिक्रिया मिली-जुली:
सोशल मीडिया पर इस निर्णय को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ लोगों ने इसे “प्रशासनिक सुधार” बताते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में सही कदम कहा है, जबकि कुछ ने इसे “कुशासन” करार देते हुए आपत्ति जताई कि सुरक्षा बलों को शराब दुकानों पर क्यों तैनात किया जा रहा है।
🔹 पृष्ठभूमि में घोटाले और छापेमारी:
रांची में हाल ही में शराब से संबंधित घोटालों ने प्रशासन की चिंताएं बढ़ा दी थीं।
70 करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने ओम साईं कंपनी के दो निदेशकों को गिरफ्तार किया था।
वहीं, महिलौंग क्षेत्र में 50 लाख रुपये की अवैध शराब जब्त करते हुए एक नकली शराब फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया गया था।
🔚 निष्कर्ष:
यह निर्णय शराब दुकानों के संचालन को जवाबदेह, सुरक्षित और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है। हालांकि, इसका दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा, यह आने वाले समय में ही स्पष्ट हो पाएगा।
रिपोर्ट: जनसंवाद न्यूज, रांची
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